अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर पत्रकार संगठन ने यूं जताया विरोध - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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5 नवंबर 2020

अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर पत्रकार संगठन ने यूं जताया विरोध

मधेपुरा: प्राइवेट न्यूज चैनल रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर देशभर में चर्चाएं हो रही हैं. ऑल इंडियन रिपोर्टर एसोसिएशन (आईरा) के जिलाध्यक्ष सहित आईरा से जुड़े सभी पत्रकारों ने भी अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर अपना विरोध जताया है. आईरा के मुख्य संरक्षक पर वरीय पत्रकार प्रदीप कुमार झा ने अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि गिरफ्तारी प्रतिशोध के लिए गिरफ्तारी है. 

यह इमरजेंसी की याद दिलाती है. उन्‍होंने कहा कि राज्य सत्ता के इस भयावह दुरुपयोग का पर्दाफाश करने के लिए फ्री प्रेस के खिलाफ कार्रवाई इमरजेंसी की एक गंभीर याद दिलाता है. जिलाध्यक्ष मुरारी कुमार सिंह ने पत्रकार की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कहा कि कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ एवं स्वतन्त्र पत्रकारिता पर किए गए इस हमले की घोर निंदा करता हूं. उन्होंने कहा कि अर्नब की गिरफ्तारी दुर्भाग्यपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि मैंने सुना था कि मुंबई पुलिस कमिश्नर एक मजबूत अधिकारी थे लेकिन अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करने के लिए उन्हें एके -47 के साथ पुलिस भेजनी पड़ी, इसका मतलब है कि वह पूरे भारत में सबसे कायर अधिकारी हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने अपने दिवंगत पिता, महाराष्ट्र और देश को बदनाम किया है. महाराष्ट्र सरकार को अर्नब गोस्वामी को तुरंत रिहा करना चाहिए और उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. 

उपाध्यक्ष शंकर सुमन ने कहा कि यह पत्रकार और उनके स्वतंत्रता पर सीधा सीधा हमला है. महाराष्ट्र सरकार पुलिसिया कारर्वाई से पत्रकारों को डराने का काम कर रही है. अर्नब की गिरफ्तारी और उनके साथ बदसलूकी को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के ऊपर बहुत बड़ा कुठाराघात है. उन्होंने इसे मीडिया की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश करार दिया. मीडिया अगर कमजोर होती है, तो लोकतंत्र भी कमजोर होगा. इस दौरान देशभर के पत्रकार को एकजुट होने और इस कार्रवाई का विरोध करने की अपील की. 

सचिव रविकांत कुमार ने कहा कि अर्नब की गिरफ्तारी पत्रकारिता पर हमला है. महाराष्ट्र सरकार का यह कदम लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला है. आईरा से जुड़े पत्रकार महासचिव सुनीत कुमार, कोषाध्यक्ष मेराज आलम, राकेश रंजन, रमेश कुमार रमण, डॉक्टर ईश्वर चंद्र भगत, मोहम्मद जावेद अख्तर, मिथिलेश कुमार, मुकेश कुमार, चंचल यदुवंशी, बंटी सिंह, संजीव कुमार, शाहनवाज, प्रशांत कुमार, रमण कुमार, गरिमा उर्विशा सहित सभी पत्रकारों ने पुरजोर विरोध किया.


पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

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