फेसबुक पोस्ट ने शिक्षक की छीन ली कुर्सी - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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23 अक्टूबर 2025

फेसबुक पोस्ट ने शिक्षक की छीन ली कुर्सी

मधेपुरा: आदर्श आचार संहिता के बीच सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट शिक्षक को भारी पड़ गई. मामला मधेपुरा जिला मुख्यालय से अनुग्रह नारायण उच्च विद्यालय सुखासन की है, जहां कार्यरत अमलेश कुमार नामक शिक्षक ने फेसबुक पर लिखा— “हम भगवान से डरते ही नहीं, चुनाव आयोग से कौन डरता है?” शिक्षक अमलेश कुमार का पोस्ट इतना दमदार था कि चुनावी मौसम में अधिकारियों का ध्यान खींच लिया और आदर्श आचार संहिता कोषांग, मधेपुरा के नोडल पदाधिकारी के द्वारा उनके सोशल मीडिया की जांच शुरू दी, जांच में पाया गया कि मधेपुरा जिला मुख्यालय से सटे अनुग्रह उच्च माध्यमिक विद्यालय सुखासन चकला के  शिक्षक अमलेश कुमार द्वारा राजनीतिक दल के नेताओं के साथ अपने फेसबुक अकाउंट में तस्वीर को साझा करने, राजनीतिक दल के पक्ष में प्रचार-पसार में संलिप्तता एवं उनके पक्ष में टिप्पणियाँ करने जैसे पोस्ट किया गया है. जो आदर्श आचार संहिता का घोर उल्लंघन किया जाना एवं शिक्षक आचरण व विभागीय नियम के प्रतिकूल कार्य को दर्शाता है. इस टिप्पणी को आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना, मधेपुरा ने शिक्षा पदाधिकारी के आदेश पर कार्रवाई की है. कार्यालय आदेश जारी कर अमलेश कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. 
आदेश में कहा गया है कि उक्त शिक्षक ने राजनीतिक दलों के पक्ष में टिप्पणी की और सरकारी सेवक के लिए निर्धारित आचार संहिता का घोर उल्लंघन किया है. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा जारी आदेश के अनुसार, निलंबन अवधि में अमलेश कुमार का मुख्यालय सिंहेश्वर संसाधन केंद्र को बनाया गया है. उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता नियमानुसार प्राप्त होगा. आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि सरकारी सेवक के लिए सोशल मीडिया पर राजनीतिक टिप्पणी करना नियमों के विरुद्ध है और इसे अनुशासनहीनता माना जाएगा. शिक्षक अमलेश कुमार पूर्व में जिला मुख्यालय के एसएनपीएम हाई स्कूल में पदस्थापित थे इसके बाद उन्होंने 2023 में बीपीएससी की परीक्षा पास कर बिहारीगंज के मधुकरचक  विद्यालय में पद स्थापित हुए इसके बाद उन्होंने 2025 में ट्रांसफर करवा कर अनुग्रह नारायण उच्च विद्यालय सुखासन चकला में पदस्थापित हुए थे. इधर स्थानीय स्तर पर यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मामले ने शिक्षक वर्ग में चर्चा छेड़ दी है और सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया पर अपनी बात नहीं रख सकते?
(रिपोर्ट:- सविता नंदन)
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

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