जिले के डीएम और एसपी को लिखे पत्र में पूर्व छात्र नेता डॉ राठौर ने कहा है कि आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार है पूर्व से सूचना देने के बाद भी जब छात्र नेता लोकतांत्रिक तरीके से अनशन करने पहुंचे तब निर्धारित धरना और अनशन स्थल मुहैया कराने के बजाय अनाप शनाप आरोप लगाकर केस कर देना लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या है. ऐसे में विश्वविद्यालय की सीनेट, सिंडिकेट के निर्णय से निर्धारित धरना स्थल का क्या औचित्य है.
विश्वविद्यालय का आरोप निराधार जांच की मांग
पत्र के माध्यम से हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा है कि मनीष कुमार, सौरव, अरमान आदि पर थाने में दर्ज आवेदन में लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं इस मामले में जिला और पुलिस प्रशासन अविलंब जांच करे जिससे हकीकत साफ होगी और विश्वविद्यालय प्रशासन की चार सौ बीसी सामने आएगी।यह छात्रों और छात्रनेताओं के प्रति बड़ी साजिश है.
लगातार मांग और आग्रह के बाद पहल नहीं होने पर अनशन विवशता
पत्र में राठौर ने बताया कि विश्वविद्यालय कहती है कि ये छात्र और छात्र नेता फर्जी हैं, असामाजिक तत्व हैं जबकि सब इस विश्वविद्यालय के ही छात्र हैं छात्र और छात्रनेता जिला और पुलिस प्रशासन को साक्ष्य देने को तैयार हैं. लगातार मांग पत्र, शिष्टमंडल मिलने, आग्रह के बाद पहल नहीं होने पर विवश हो अनशन किया गया है जिसको कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन अवैध बता रही है इस लिए जिला और पुलिस प्रशासन इस मामले में हस्तक्षेप करे जिससे यह बात साफ हो कि आंदोलनरत छात्र छात्राएं सही हैं या विश्वविद्यालय प्रशासन. क्योंकि अपनी निम्न सोच और नापाक हरकत वाली विश्वविद्यालय प्रशासन की हरकतों से जिला और पुलिस प्रशासन का भी समय बर्बाद होता है और बार बार गुमराह होना पड़ता है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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