
मधेपुरा: स्वतंत्र पत्रकार तुरबसु के नेतृत्व में माया अध्यक्ष राहुल यादव, एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष निशांत यादव एवं इप्टा के प्रदेश सचिव सुभाष चंद्र ने जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी मधेपुरा से मिलकर ज्ञापन समर्पित किया. इस मौके पर शिष्टमंडल के सदस्यों ने जिला निर्वाचन पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि स्नातक निर्वाचन के मतदाता बनने की प्रक्रिया में कई व्यवहारिक खामियां हैं जिस वजह से इस चुनाव में धन बल को बढ़ावा मिलता है. उन्होंने कहा कि एक तो आम स्नातक पास नागरिक इसके जटिल प्रक्रिया के कारण मतदाता बनते नहीं हैं. ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण इस बार हजारों लोग आवेदन किये हैं लेकिन अब उन्हें संबंधित प्रखंड कार्यालय से फोन कर अपना मूल कागजात लेकर बुलाया जा रहा है. क्या लोगों के पास इनता वक्त और पैसा होगा जो दूर दराज के गाँव से सिर्फ मतदाता बनने के लिए अपना पैसा खर्च कर प्रखंड मुख्यालय जाय. शिष्टमंडल के सदस्यों ने ने कहा कि जब ऑनलाइन आवेदन के मध्यम से ही लोगों से अपनी आवेदन में दी गई जानकारी से संबंधित घोषणा ले ली जाती है और उसके गलत होने पर कारवाई की भी बात लिखी जाती है तो फिर इस तहर की प्रक्रिया सिर्फ मतदाताओं को परेशानी में डालने और उसे चुनाव से दूर रखने की साजिश जैसी है.

सदस्यों ने कहा कि यदि चुनाव आयोग प्रमाण पत्र के सत्यापन को आवश्यक समझती है तो कई विश्व विद्यालय का प्रमाण पत्र अब ऑनलाइन भी सत्यापित हो सकती है. यदि ऐसा नही होता है तो बीएलओ अथवा अन्य अधिकारी से आवेदकों के घर जा कर उसका सत्यापन करना चाहिए. शिष्टमंडल के सदस्यों की मांग पर जिला पदाधिकारी तरणजोत सिंह ने शिष्टमंडल के मांगों पर सहमति जताते हुए इन बातों से निर्वाचन आयोग को अवगत कराने की बात कही. वहीं शिष्टमंडल के सदस्यों ने निर्वाचन परक्रिया की जटिलता दूर करने के लिए चरणबद्ध आंदोलन चलाने की बात कही है. बता दें कि बीते 26 अक्टूबर 2025 को स्वतंत्र पत्रकार तुरबसु ने भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, बिहार राज्य निर्वाचन आयुक्त, आर. ओ. सह प्रमंडलीय आयुक्त पूर्णिया, प्रमंडलीय आयुक्त कोसी और जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी मधेपुरा को पत्र लिखकर स्नातक निर्वाचन में मतदाता बनने की वर्तमान प्रक्रिया की जटिलता को दूर करने की मांग को लेकर सभी को ई-मेल किया था. इन्हें भेजे गए आवेदन में कहा गया था कि स्नातक निर्वाचन की वर्तमान व्यवस्था आम स्नातक पास नागरिकों के लिए न सिर्फ अव्यवहारिक और खर्चीली है, बल्कि यह प्रक्रिया धनबल को बढ़ावा देने वाली भी बन गई है.

उन्होंने कहा था कि वर्ष 2026 में कोसी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रस्तावित है, परंतु मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि अधिकांश पात्र नागरिक मतदान से वंचित रह जाते हैं. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग की वर्तमान नीति उसके ही आदर्श वाक्य "एक भी मतदाता छूटे ना" के विपरीत है. पत्र में उन्होंने यह भी उल्लेख किया किविधान परिषद (शिक्षक/स्नातक) चुनाव की जानकारी सीमित लोगों तक ही पहुंचती है, जिससे आम नागरिकों की भागीदारी बाधित होती है. प्रमाणपत्रों का राजपत्रित अधिकारी से सत्यापन और आवेदन की ऑफलाइन जमा प्रक्रिया बेहद कठिन और खर्चीली है. यह व्यवस्था आयोग की जिम्मेदारी को मतदाता पर थोपने जैसा है, जबकि तकनीकी रूप से यह कार्य अब आसान हो चुका है. उन्होंने सुझाव दिया कि आयोग चाहे तो विश्वविद्यालयों से स्नातक पास अभ्यर्थियों का डेटा प्राप्त कर बीएलओ के माध्यम से सत्यापन करा सकता है. साथ ही, आम चुनाव की तरह इसे डिजिटल और सुलभ प्रणाली में जोड़ा जा सकता है, जिससे हर पात्र नागरिक बिना परेशानी मतदाता बन सके.
तुरबसु ने यह भी कहा कि वर्तमान व्यवस्था में कई संभावित उम्मीदवार धनबल के माध्यम से बल्क में फॉर्म भरवा और जमा करवा रहे हैं, जिससे निर्वाचन की निष्पक्षता पर प्रश्न उठ रहे हैं. वहीं ऑनलाइन माध्यम से आवेदन करने वाले जागरूक नागरिकों को प्रखंड कार्यालयों से सत्यापन के लिए बुलाना व्यावहारिक नहीं है. उन्होंने कहा. जब चुनाव आयोग ऑनलाइन आवेदन स्वीकार कर घोषणा पत्र के आधार पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान रखता है, तो उसे अपने स्तर पर सत्यापन की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए. आवेदक से बार-बार दस्तावेज सत्यापन कराना अनुचित है. अंत में तुरबसु ने निर्वाचन आयोग से संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत हर पात्र नागरिक के मतदान के अधिकार की रक्षा हेतु कार्यवाही करने और बीएलओ के माध्यम से घर जाकर सत्यापन की व्यवस्था लागू करने की मांग की है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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