डेस्क: बिहार में चुनावी महासंग्राम अपने पहला चरण आ गया. राज्य विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए प्रचार का धुआंधार दौर मंगलवार की शाम को समाप्त हो गया. पहले चरण में कुल 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर 6 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. पिछले कुछ हफ्तों से राजनेताओं ने रैलियों, रोड शो और जनसंपर्क के माध्यम से मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अब, उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में कैद होने के लिए तैयार है. ये चरण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. पहले चरण के मतदान वाली 121 सीटों पर अब उम्मीदवार केवल घर-घर जाकर संपर्क कर सकते हैं, सामूहिक प्रचार पर रोक लगा दी गई है. ये चरण राज्य के कई महत्वपूर्ण राजनीतिक क्षेत्रों को कवर करता है, जिसमें कई हाई-प्रोफाइल सीटें शामिल हैं. इन सीटों पर कई वर्तमान और पूर्व मंत्रियों, साथ ही बाहुबली नेताओं की किस्मत दांव पर है. इस चरण का मतदान प्रतिशत ये तय करने में महत्वपूर्ण होगा कि आगे के चरणों में हवा किस तरफ बहेगी. मतदान शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो, इसके लिए चुनाव आयोग और राज्य प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े और 'अभेद्य' इंतजाम किए हैं. 18 जिलों के सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है. खासकर नक्सल प्रभावित और संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त निगरानी रखी जा रही है. किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी लगातार गश्त कर रहे हैं. प्रचार थमने के बाद सभी पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए ये समय सीधे मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क साधने का है. अब नेता बड़ी रैलियों के बजाय छोटे समूहों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, ताकि अंतिम क्षणों में मतदाताओं को अपने पक्ष में मोड़ा जा सके. 6 नवंबर को मतदान के साथ ही इन 121 सीटों के उम्मीदवारों की मेहनत और किस्मत ईवीएम में लॉक हो जाएगी.
(रिपोर्ट:- सुनीत साना)
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