बनमनखी: अखिल सिंदुरिया बनिया कथबनिया कैथल वैश्य महासभा, बनमनखी इकाई की एक अहम बैठक जीवछपुर दुर्गा मंदिर परिसर में सम्पन्न हुई. जिसमें समाज में वर्षों से चली आरही मृत्यु भोज की परंपरा पर विस्तृत चर्चा की गई. बैठक में जीवछपुर निवासी आमोद दास के पिता स्वर्गीय दुर्गा प्रसाद दास के मरणोपरांत के लंबा भोज कार्यक्रम की रूप रेखा एवं औचित्त्य पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया. सर्वसम्मति से ऐतिहासिक निर्णय लिया गया कि मृत्यु भोज स्वेच्छा अनुसार केवल एक दिन किया जाए. किसी प्रकार की पाबंदी या सामाजिक दबाव न हो. बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी एवं सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक विजेंद्र दास ने की. जानकारी देते हुए संगठन के पूर्व जिलाध्यक्ष व राष्ट्रीय प्रवक्ता इन्द्र मोहन दास ने बताया कि यह निर्णय समाज में व्यर्थ खर्च और आर्थिक बोझ को समाप्त करने की दिशा में एक ठोस कदम है. बैठक में मौजूद अधिकांश प्रबुद्धजनों ने माना कि मृत्यु भोज एक गलत और बोझिल परंपरा है, जिसे धीरे-धीरे समाप्त किया जाना चाहिए. वरिष्ठ समाजसेवी तुलसी दास ने कहा, "हर नई शुरुआत थोड़ी कठिन लगती है, लेकिन समय के साथ समाज उसे अपना लेता है. "निर्णय के अनुसार, शुरुआती तीन वर्षों तक केवल सम्पिंडन के दिन ही इच्छा अनुसार भोज रखा जाएगा. तीन वर्ष बाद इस परंपरा को पूर्ण रूप से समाप्त करने की दिशा में पहल की जाएगी. बैठक में चंद्र मोहन दास, नटवर दास, फकीरचंद दास, अमोद दास, निमिष दास, केशव दास, अनमोल दास, रविन्द्र दास, हनुमान दास, महंती दास, चंद्रकिशोर दास, नीतीश दास, फूचो दास, चंद्रकांत दास, राजा दास सहित अन्य समाजसेवी एवं ग्रामीण मौजूद रहे.
(रिपोर्ट:- प्रिंस कुमार प्रभाकर)
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