धरना स्थल पर अनशन नहीं करने अपरिपक्व मानसिकता
रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर जारी आंदोलन में आवेदन के बाद भी विश्वविद्यालय परिसर स्थित धरना स्थल पर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने की अनुमति देने के बजाय थाने में केस के लिए आवेदन देने और अलग अलग तरीके से डराने धमकाने पर पूर्व छात्र नेता डॉ राठौर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि तब कुलपति बताए कि सीनेट, सिंडिकेट द्वारा निर्धारित उस धरना स्थल की क्या उपयोगिता है जहां आंदोलन नहीं होंगे लेकिन शराब की बोतलें और कंडोम सहित अन्य आपत्तिजनक चीजें मिलती रहती हैं. अनशन को समर्थन देते हुए राठौर ने कुलपति सहित विश्वविद्यालय प्रशासन को चेताया कि मुख्य द्वार के सामने अनशन कर रहे छात्रों के साथ कोई भी अनहोनी होती है तो उसकी पूरी जवाबदेही ही कुलपति की नहीं होगी बल्कि तब हालात हर हद को पार करेगा.
छात्र नेता और छात्रों को सामाजिक तत्व कहना कुलपति के ही असामाजिक होने का प्रमाण
अपनी मांगों को लेकर लगातार आंदोलनरत छात्र नेताओं और छात्रों को कुलपति और पदाधिकारियों द्वारा असामाजिक तत्व कहने पर डॉ राठौर ने तंज कसते हुए कहा कि जहां छात्र छात्राओं और छात्र संगठनों को विश्वविद्यालय का आंख कान कहा जाता है वहां ऐसा कहने वाले लोग ही आसामाजिक तत्व हैं क्यों कि ऐसी सोच इस मानसिकता के लोग ही रख सकते हैं. राठौर ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन अविलंब इस मामले में संज्ञान ले ले और समाधान करे अन्यथा पीड़ित छात्र छात्राओं और आंदोलित छात्र नेताओं के समर्थन में गोलबंदी कर अंदर और बाहर आंदोलन को और उग्र ही नहीं किया जाएगा बल्कि कुलपति को उन्हीं की भाषा में जवाब भी दिया जाएगा.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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