मधेपुरा: राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) का 56वां स्थापना दिवस समारोह 24 सितंबर, 2025 को आयोजित किया जाएगा. इस अवसर पर विश्वविद्यालय मुख्यालय और सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इस बावत कुलपति के आदेशानुसार कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुधांशु शेखर ने सभी महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को पत्र प्रेषित किया है. पत्र में अनुरोध किया गया है कि एनएसएस के स्थापना दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन सुनिश्चित किया जाए. डॉ. शेखर ने बताया कि एनएसएस, भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय द्वारा संचालित एक युवा कार्यक्रम है. इसकी स्थापना युवाओं के सर्वांगीण विकास और उनमें सामाजिक उत्तरदायित्व एवं राष्ट्रसेवा की भावना का संचार करने के उद्देश्य से राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सौंवें जयंती वर्ष (1969) में की गई थी. इसमें तत्कालीन शिक्षा मंत्री विजयेंद्र कस्तूरी रंगा वरदराजा राव की महती भूमिका रही. उन्होंने बताया कि एनएसएस का आदर्श वाक्य 'मैं नहीं, बल्कि आप' है. यह वाक्य निस्वार्थ सेवा और सामुदायिक जुड़ाव को दर्शाता है. जब कोई एनएसएस स्वयंसेवक किसी भी सेवा में संलग्न होता है, तो वह ऐसा व्यक्तिगत श्रेय की इच्छा के बिना करता है. हालांकि, जब ज़िम्मेदारी और पहल करने की बात आती है, तो एक एनएसएस स्वयंसेवक 'आप नहीं, बल्कि मैं' के जोरदार आह्वान के साथ तुरंत आगे आता है. उन्होंने बताया कि एनएसएस दिवस समारोह सामुदायिक विकास और राष्ट्र-निर्माण के उन मूल्यों की याद दिलाता है, जिनके लिए एनएसएस खड़ा है. संप्रति वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में लाने में एनएसएस की महती भूमिका है. इसलिए एनएसएस के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ाने के लिए सभी इकाइयों में एनएसएस स्थापना दिवस का आयोजन अपेक्षित है. उन्होंने बताया कि एनएसएस की शुरुआत 1969 में 37 विश्वविद्यालयों में लगभग 40 हजार स्वयंसेवकों के साथ हुई थी. अब 6 सौ 57 विश्वविद्यालयों और 51 अन्य शैक्षणिक संस्थानों में फैल चुका है. 31 मार्च, 2025 तक एनएसएस में कुल 39 लाख 87 हजार 7 सौ 81 स्वयंसेवक पंजीकृत हैं. उन्होंने बताया कि एनएसएस का आदर्श वाक्य 'मैं नहीं, बल्कि आप' है. यह वाक्य निस्वार्थ सेवा और सामुदायिक जुड़ाव को दर्शाता है. जब कोई एनएसएस स्वयंसेवक किसी भी सेवा में संलग्न होता है, तो वह ऐसा व्यक्तिगत श्रेय की इच्छा के बिना करता है. लेकिन पहल करने की बात आती है, तो एक एनएसएस स्वयंसेवक 'आप नहीं, बल्कि मैं' के ज़ोरदार आह्वान के साथ तुरंत आगे आता है. उन्होंने बताया कि एनएसएस दिवस समारोह सामुदायिक विकास और राष्ट्र-निर्माण के उन मूल्यों की याद दिलाता है, जिनके लिए एनएसएस खड़ा है. संप्रति वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में लाने में एनएसएस की महती भूमिका है. इसलिए एनएसएस के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ाने के लिए सभी इकाइयों में एनएसएस स्थापना दिवस का आयोजन अपेक्षित है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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