मधेपुरा: पिछले कुछ दिनों से विश्वविद्यालय में नियुक्त नोडल पदाधिकारी द्वारा कुछ छात्रा को कमरे में बंद करके बाहर से ताला लगगा कर कार्य करने का वीडियो सोशल मीडिया एवं न्यूज चैनलों के माध्यम से चल रहा है. इसी बीच अंतर महाविद्यालय खेल कूद प्रतियोगिता में कुछ एमएलटी कॉलेज के खिलाड़ियों द्वारा पीएस कॉलेज खिलाड़ियों के साथ अमान्यवीय व्यवहार करने का मामला भी प्रकाश में आया है. ये दोनों मामले विश्वविद्यालय की गरिमा के विपरीत हैं. अतः दोनों मामलों की निष्पक्ष जांच की जाए और बीएनएमयू की गरिमा को बचाने हेतु ठोस कदम उठाए जाएं. यह बात अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेताओं ने शनिवार को प्रेस-वार्ता में कहीं. वार्ता में प्रदेश सहमंत्री समीक्षा यदुवंशी, विभाग संयोजक सौरभ कुमार एवं जिला संयोजक नवनीत सम्राट ने शामिल थे. नेताओं ने प्रेसवार्ता के बाद अपनी मांगों से संबंधित पत्र कुलसचिव को ईमेल से प्रेषित किया और उसकी प्रतिलिपि कुलपति को भी प्रेषित की. परिषद ने आरोप लगाया है कि दोनों ही वायरल मामलों से छात्र-छात्राओं की स्वतंत्रता, सुरक्षा और सम्मान के लिए गंभीर खतरा भी उत्पन्न हुआ है. प्रदेश सहमंत्री समीक्षा यदुवंशी ने मांग किया है कि कन्या उत्थान से संबंधित वायरल विडियो की निष्पक्ष जांच हेतु तत्काल जाँच समिति गठित की जाए. जाँच पूरी होने तक संबंधित नोडल पदाधिकारी को कन्या उत्थान योजना के कार्यों से मुक्त किया जाए. छात्राओं की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ. विभाग संयोजक कुमार ने अंतर महाविद्यालय खेल-कूद प्रतियोगिता में कुछ एमएलटी कॉलेज के खिलाड़ियों द्वारा पीएस कॉलेज खिलाड़ियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया है. इस दुर्व्यवहार की जाँच हेतु तत्काल एक जांच समिति गठित की जाए. उन्होंने मांग की है कि अभी जारी किए गए एकतरफा परिणाम को रद्द किया जाए. जांच के बाद दोनों टीमों के बीच फाइनल मैच भी करवाया जाए. दोषी खिलाड़ियों तथा संबंधित अधिकारियों एवं कोच की जिम्मेदारी तय कर उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. भविष्य में प्रतियोगिताओं के दौरान ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु कड़े सुरक्षा व अनुशासनात्मक प्रबंध किए जाएँ. इस मौके पर जिला संयोजक नवनीत सम्राट ने कहा बहुत सारे महाविद्यालय बाहर से खिलाड़ी मंगवा कर खिलवाते हैं. इस पर अविलंब रोक लगे. यदि इस पर शीघ्र कार्रवाई नहीं होती है, तो हम परिषद के कार्यकर्ता आगे की लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने को बाध्य होंगे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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