मधेपुरा: भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित “नेक्स्ट जेनरेशन केमिस्ट्री इनोवेशन्स ड्राइविंग द फ्यूचर” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार शुक्रवार से शुरू हुआ, जिसका शुभारंभ कुलपति प्रो. बिमलेंदु शेखर झा, प्रो. रणजीत वर्मा, प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा, विभागाध्यक्ष प्रो. नरेश कुमार ने किया. कार्यक्रम के प्रथम सत्र में देश-विदेश के विद्वान रसायनज्ञ ऑनलाइन माध्यम से जुड़े. आईआईटी कानपुर, आईआईटी धनबाद, आईआईटी अहमदाबाद सहित अन्य संस्थानों से नामचीन वैज्ञानिकों की सक्रिय भागीदारी ने सम्मेलन को शोध एवं नवाचार के नए आयाम प्रदान किये. शोधार्थियों के लिए यह एक विशेष अवसर रहा, जब उन्हें अग्रणी वैज्ञानिकों के विचारों और मार्गदर्शन का लाभ मिला. सेमिनार के पहले दिन कुल 20 शोधार्थियों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किये. इन प्रस्तुतियों में हरित रसायन, नैनो मटेरियल्स, नैनो टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस के रसायन शास्त्र में संभावित अनुप्रयोगों पर चर्चा की गयी. प्रतिभागियों ने यह दर्शाया कि कैसे नई तकनीकें रसायन शास्त्र के अध्ययन एवं उपयोग को अधिक सटीक, समय-बचत करने वाला और मानवीय कल्याण उन्मुख बना सकती हैं. कुलपति ने कहा कि आने वाले समय में रसायन शास्त्र का महत्व और भी बढ़ने वाला है. उन्होंने रसायनज्ञों एवं शिक्षकों को यह आह्वान किया कि वे मानव कल्याण के लिए अनुसंधान को केंद्र में रखते हुये, हरित रसायन, नैनो टेक्नोलॉजी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा डेटा साइंस का अधिकाधिक उपयोग करें. प्रो. झा ने विशेष रूप से यह भी कहा कि आज की पीढ़ी के वैज्ञानिकों को शोध के साथ-साथ समाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करना चाहिए ताकि वैज्ञानिक खोजें सीधे जनमानस के जीवन में उपयोगी साबित हो सकें. प्रो. रणजीत वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि रसायन शास्त्र मानव जीवन की हर गतिविधि में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है. चाहे भोजन का उत्पादन हो, दवाइयों का निर्माण हो, ऊर्जा की बचत हो या पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहल-हर क्षेत्र में रसायन शास्त्र की भूमिका अहम है. उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को यह समझना होगा कि रसायन केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्यावहारिक उपयोग के साथ गहराई से जुड़ा है. प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा ने कहा कि आज रसायन शास्त्र न केवल संसाधनों की कमी को पूरा करने की दिशा में सहायक है बल्कि मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा और संवर्धन में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. उन्होंने कहा कि नए-नए औषधीय यौगिकों की खोज, पर्यावरण-मित्र तकनीकियों का विकास और मानव जीवन को आसान बनाने वाले पदार्थों का निर्माण रसायनज्ञों की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिये. सम्मेलन की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो नरेश कुमार ने की. कार्यक्रम के अंत में डॉ अनिल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....