दूसरी तरफ डॉक्टर राठौर ने विश्वविद्यालय प्रशासन को आगाह भी किया है कि शिक्षक, छात्र, कर्मचारी संगठनों को हल्के में लेने और इनमें फूट डाल विश्वविद्यालय नहीं चलने दिया जाएगा. सकारात्मक दिशा में पहल नहीं होने पर विश्वविद्यालय की कार्यशैली और कुव्यवस्था को लेकर छात्रों, आमजनों के साथ स्थानीय पक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को भी अवगत ही नहीं कराया जाएगा बल्कि व्यवस्था परिवर्तन की बड़ी मुहिम की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी और तब मुहिम कैंपस के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर भी व्यापक स्तर पर होगी और इसकी पूरी जवाबदेही विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी. विशेषकर विश्वविद्यालय की कुव्यवस्था और कार्यशैली के संबंध में बिंदुवार जिला प्रशासन को भी अवगत कराया जाएगा जिसे छात्र, शिक्षक, कर्मचारी आंदोलन के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन गुमराह करने का काम करती है. राठौर ने साफ शब्दों में कहा कि यह विश्वविद्यालय महज उच्च शिक्षा का परिसर नहीं है बल्कि इस क्षेत्र की वो पूंजी और धरोहर है संरक्षण और संवर्धन सामूहिक दायित्व है. इस बार हालात साफ हैं अगर विश्वविद्यालय सकारात्मक पहल करेगी तो सहयोग होगा अन्यथा बड़े आंदोलन की बुनियाद रखी जाएगी.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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