लिखे पत्र में डॉक्टर राठौर ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षक, छात्र, कर्मचारी दहशत के दौर में जी रहे हैं कहीं परीक्षा में छात्र द्वारा शिक्षक के साथ अमर्यादित आचरण, हाथापाई पर लगातार मांग के बाद भी छात्र पर कारवाई की जगह अतिरिक्त समय देना, बिना दोष के बीसीए के एक शिक्षक को पदमुक्त कर देना, दो महत्वपूर्ण कर्मचारियों की मृत्यु पर शोक सभा की पहल नहीं करना सोशल मीडिया पर फजीहत और संगठन द्वारा मांग पर औपचारिक आयोजन, छात्र हित के मुद्दों पर आंदोलन करने वाले छात्र नेताओं को असामाजिक तत्व कहना और एफआईआर की धमकी देना, हर बात पर सस्पेंड करने, शोकाज करने, डिग्री रद्द करने की धमकी देना आदि बानगी मात्र है.
लंबे समय तक बीएनएमयू में छात्र आंदोलन में रहे राठौर ने लिखा है कि कुलपति विश्वविद्यालय के अभिभावक हैं और उनके रहते गर ऐसा हो तो निसंदेह यह निंदनीय है. जरूरत है अभिभावक की भूमिका में आ शिक्षक, छात्र, कर्मचारी संगठनों को एक मंच पर आमंत्रित कर विश्वविद्यालय के विकास के संयुक पहल और उनकी समस्याओं के समाधान की जिससे विश्वविद्यालय में सकारात्मक माहौल बनने के साथ साथ अनसुलझे दौर में एक बेहतर संबंध स्थापित हो सके. कुलपति को लिखे पत्र में जहां डॉक्टर राठौर ने बेहतर शैक्षणिक परिवेश के लिए संवाद और सामूहिक पहल की मांग की है. वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन को आगाह भी किया है कि शिक्षक, छात्र, कर्मचारी संगठनों को हल्के में लेने और इनमें फूट डाल विश्वविद्यालय चलाने की सोच न रखें अन्यथा विश्वविद्यालय की कार्यशैली और कुव्यवस्था को लेकर छात्रों, आमजनों के साथ स्थानीय पक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को भी अवगत ही नहीं कराया जाएगा.
बल्कि व्यवस्था परिवर्तन की बड़ी मुहिम की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी और तब मुहिम कैंपस के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर भी व्यापक स्तर पर होगी और इसकी पूरी जवाबदेही विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी. विशेषकर विश्वविद्यालय की कुव्यवस्था और कार्यशैली के संबंध में बिंदुवार जिला प्रशासन को भी अवगत कराया जाएगा जिसे छात्र, शिक्षक, कर्मचारी आंदोलन के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन गुमराह करने का काम करती है. राठौर ने साफ शब्दों में कहा कि यह विश्वविद्यालय महज उच्च शिक्षा का परिसर नहीं है बल्कि इस क्षेत्र की वो पूंजी और धरोहर है संरक्षण और संवर्धन सामूहिक दायित्व है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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