सदन में जो भी निर्णय हो उसका ससमय किया जाए अनुपालन
सीनेटर रंजन यादव ने कहा कि सदन में जो भी निर्णय हो उसका ससमय अनुपालन किया जाए. पिछली बैठकों में जिन बिंदुओं को उठाया गया था उनमें अधिकांश समस्याओं का आज तक कोई समाधान नहीं हुआ है. टीपी कॉलेज मधेपुरा में स्नातक स्तर पर कॉमर्स, भूगोल, होमसाइंस, समाजशास्त्र, गृह विज्ञान, म्यूजिक की पढ़ाई प्रारंभ की जाए. स्नातक में विगत कुछ वर्षों से कुछ विषय में सीट से कई गुना गुना ज्यादा आवेदन होने के कारण उन विषयों में नामांकन से छात्र वंचित हो रहे हैं. अतः उन विषयों में सीट की बढ़ोतरी की जाए. विश्वविद्यालय स्थित केंद्रीय पुस्तकालय में नए सिलेबस के अनुसार प्रामाणिक, प्रतियोगी व शोध पुस्तकें मंगाई जाए. विश्वविद्यालय में एलाइड, एमबीए, एमसीए, गांधी विचार, पत्रकारिता कोर्स, नाट्यशास्त्र, क्रोसपोंडेंस कोर्स, पीजी डिप्लोमा इन स्ट्रेस मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन योगा मैनेजमेंट सहित अन्य नए कोर्स, वोकेशनल कोर्स, प्रोफेशनल कोर्स व रोजगारपरक कोर्स शुरू किया जाए. विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए साथ ही बीएनएमयू के नॉर्थ कैंपस में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराई जाए.
छात्र राजद ने कुलपति का किया घेराव
छात्र राजद कार्यकर्ताओं ने विभिन्न मांगों को लेकर सीनेट बैठक में भाग लेने जा रहे कुलपति का घेराव किया. छात्र राजद के विश्वविद्यालय अध्यक्ष अजय राज उर्फ किशोर यादव के नेतृत्व में करीब एक घंटे तक कुलपति को मेन गेट पर रोके रखा. जिस कारण से सीनेट की बैठक काफी विलंब से शुरू हुआ. छात्र नेताओं का कहना था कि विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा स्नातक प्रथम खंड एवं द्वितीय खंड की काॅपी मुल्यांकन का जिम्मा प्राईवेट काॅलेजों में देना दूर्भाग्यपूर्ण फैसला है. इस अवसर पर छात्र राजद के प्रदेश महासचिव माधव कुमार, विश्वविद्यालय उपाध्यक्ष सोनू निगम, सुनील कुमार सिंह, राजेश टाईगर, प्रवीण कुमार आदि मौजूद थे.
अभाविप कार्यकर्ताओं ने सीनेट की बैठक का किया विरोध
अखिल भारतीय विद्यार्थी के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को बीएनएमयू में सीनेट की बैठक का विरोध किया गया. अभाविप कार्यकर्ता सुबह 10 बजे से ही मेन गेट को बंद कर दिया था. अभाविप के प्रदेश मंत्री अभिषेक यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय व महाविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर कुलपति ने अब तक लापरवाह एवं कर्तव्यहीन पदाधिकारियों को हमेशा बचाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि हरिहर साह महाविद्यालय उदाकिशुनगंज के 58 एकड़ भूमि को एक पूर्व प्राचार्य अपने सेवानिवृत्त होने से 1 दिन पहले बिना विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अनुमति के अगले 30 वर्षों के लिए कम दाम पर अपने चहेते को लीज पर दे दिया. पूर्व प्राचार्य ने लीज पर देने से पूर्व की कई सारी प्रक्रियाओं को दरकिनार किया. विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा जान-बूझकर हरिहर साहा महाविद्यालय के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है. उन्होंने कहा कि केवल दो कमरों में यह महाविद्यालय संचालित होता है.
(रिपोर्ट:- मनीष कुमार)
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