कुलपति ने कहा कि कोई जन्म से महान होते हैं, किसी पर महानता लाद दी जाती हैै. लेकिन कुछ लोग अपने कर्म से महान होते हैं. कर्पूरी वैसे ही नेता थे, जिन्होंने संघर्ष करते हुए अपना एक मुकाम हासिल किया. वे अपने संघर्षों के दम पर महान बने और लोगों ने उन्हें जननायक की उपाधि से विभूषित किया. कुलपति ने कहा कि कर्पूरी सादगी, त्याग एवं ईमानदारी के प्रतीक थे. उनके सिद्धांत एवं व्यवहार में एकरुपता थी. वे जो कहते थे, वही करते थे और जो करते थे, वही कहते थे. कुलपति ने कहा कि कर्पूरी कर्मठता एवं निर्भिकता के प्रतीक थे. वे बेबाक होकर अपनी बात रखते थे और सच को सच कहने की हिम्मत रखते थे. उनका संदेश है कि अधिकार के लिए लड़ना सीखो. पग-पग पर अड़ना सीखो. जीना है, तो मरना सीखो.
मुख्य अतिथि कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने कहा कि कर्पूरी जाति नहीं, बल्कि जमात के नेता थे. वे पिछड़े एवं अति पिछड़े वर्ग सहित संपूर्ण समाज एवं राष्ट्र के नेता थे. उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने सभी प्रकार के शोषण एवं विषमता के खिलाफ थे. उन्होंने सामाजिक एवं आर्थिक विषमता के साथ-साथ भाषायी विषमता को भी दूर करने के लिए संघर्ष किया. माया के अध्यक्ष राहुल यादव ने कहा कि शुक्रवार से प्रतिमा निर्माण का कार्य शुरू किया गया है और इसे इस वर्ष के अंत तक पूरा करने की योजना है. इस पुनीत कार्य में समाज के सभी वर्गों से सहयोग अपेक्षित है.
इस अवसर पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. गजेन्द्र कुमार, महाविद्यालय निरीक्षक (विज्ञान) डॉ. भूपेंद्र प्रसाद सिंह, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव, भाजपा नगर अध्यक्ष अंकेश गोप, माया के संरक्षक तुरबसु बंटी, उपाध्यक्ष सौरभ कुमार एवं कोषाध्यक्ष सुधांशु कुमार, वार्ड पार्षद अजय कुमार ठाकुर, बौआ ठाकुर, प्रशांत कुमार, अनंत प्रताप, सचिव अविनाश कुमार, जिला कबड्डी संघ के सचिव अरुण कुमार एवं कोषाध्यक्ष गुलशन कुमार, समाजसेवी अमित कुमार बलटन, रोहित कुमार, मनदीप कुमार, रमण कुमार, पुरुषोत्तम कुमार, मो. इसराइल आलम, रोहित कुमार सिंह, राजा कुमार, सौरभ कुमार चौहान सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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