मधेपुरा: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन के सूमी शहर में फंसे भारतीय छात्रों के लिए अब वहां जीना मुश्किल होता जा रहा है। शहर पर दोबारा बमबारी के बाद अब वहां बिजली पानी की लाइनें तबाह हो चुकी हैं. पिछले 36 घंटे से छात्र पीने के पानी के लिए भी तरस रहे हैं. पंजाब के गुरुदासपुर के मित्र विशाल बर्फ को एकत्रित कर पिघलाने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे वह अपनी प्यास बुझा सकें. मोहित ने बताया है कि युद्ध को शुरू हुए दस दिन हो चुके हैं और एंबेसी व भारतीय सरकार अभी तक सूमी शहर से ही हजारों छात्रों को बाहर नहीं निकाल सकी है. यहीं से यूक्रेन में बमबारी की शुरूआत हुई थी, इसके बाद यहां कुछ दिन शांति रही, लेकिन फिर से बमबारी हो गई.
बीच के समय में यदि प्रयास किया जाता तो उन्हें और उनके जैसे हजारों भारतीय छात्रों को यहां से निकाला जा सकता था. अब यहां मूवमेंट करना जान से हाथ धोने से कम नहीं रह गया है. मोहित ने बताया कि वह और सैकड़ों छात्र पिछली सारी रात व सारे दिन बंकर में छिपे रहे, उनसे कुछ ही दूरी पर बम गिरते रहे. छात्र डर की वजह से अपने मोबाइल तक नहीं देख सके. परिजनों के चिंता भरे मैसेज भी नहीं पढ़ सके. घर पर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है, वहीं हमें भी यहां पता नहीं है कि अगले पल क्या होगा.
(रिपोर्ट:- मोहन कुमार)
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